75 Years of Sarva Seva Sangh and Sarvodaya Samaj

 



75 Years of Sarva Seva Sangh and Sarvodaya Samaj

Mahatma Gandhi, the Father of the nation, dreamed of creating 7 lakh 'living martyrs' in 7 lakh villages for the reconstruction of India. To give shape to this idea, he wanted that all the institutions of Sarvodaya thought should unite and form a strong national organization. With this in the view he had proposed a conference in Sevagram on 2-3 February 1948. Gandhi was supposed to return to Sevagram Ashram in February. But before that, a bullet of an ardent Hindu fundamentalist  snatched him away from the world.

      To realize Gandhiji's idea, the conference to be held in February 1948, took place on 13, 15 March 1948 at Mahadevbhai Bhavan,  Sevagram. Eminent national leaders like Dr. Rajendra Prasad, Maulana Abul Kalam Azad, Dr. Zakir Hussain, Dr. J.C. Kumarappa, Acharya Vinoba Bhave attended this conference. 'Sarva Seva Sangh' (All India All Service Sangh) and 'Sarvodaya Samaj' was founded in the presence of galaxy of national leaders like Dr.Rajendra Prasad, Maulana Abul Kalam Azad, Dr.Zakir Hussain,   Dr.J.C.Kumarappa, Acharya Vinoba Bhave, Pandit Jawaharlal Nehru, Jayprakash Narayan, Dada Dharmadhikari, Asha Devi Aryanayakam, Sant Tukdoji Maharaj, Acharya J.B.Kripalani and others in this conference.

    The aim of the 'Sarv Seva Sangh' is to establish such a society based on truth and non-violence, in which life is inspired by human and democratic values, which is free from exploitation, oppression, injustice, which has ample opportunities for the overall development of human personality. Along with this, such a new society should be formed in which discrimination arising due to caste, creed, community, class, gender, colour, language and country etc. will not be accepted. Along with this, with the aim of giving a decentralized form to the economy, livelihoods like khadi village industry, farming and animal husbandry were added more to the aim.

    Many sarvodaya leaders played an important role in furthering the Sarvodaya work. Many of them are worth mentioning here. Dhirendra Majumdar, Acharya Ramamurthy, Siddharaj Dhadda, Gokulbhai Bhatt, Nabakrushna Choudhary, Gopabandhu Choudhary, Ramadevi, Malti Devi, Manmohan Choudhary, Thakurdas Bang, Dr.S.N.Subbarao, Narayan Desai and many others had valuable contribution in Sarvodaya movement.

   We are happy to inform you that there was a special contribution in the long journey of sarvodaya movement. 'Bhoodan-Gramdan' movement in the decades of 1950s and 1960s under the leadership of Achary Vinoba Bhave, the 'Sampoorna Kranti' movement in the decade of 1970s under the leadership of Jayprakash Narayan, surrendering the dacoits in Chambal valley under the leadership of  Vinobaji and Jayprakash ji and with the help of Subbaraoji,  the peace and harmony in the riot-torn areas of Punjab and also in Assam in the name of 'Assam Shanti Yatra' deserve special mention.

'Sarva Seva Sangh' and 'Sarvodaya Samaj' have been working for this goal for a long time.

    For its stated mission 'Sarva Seva Sangh' and 'Sarvodaya Samaj' has been working in this way for a long period of 75 years and will continue to do so in future also.  This year, 2023, is the Diamond Jubilee year of the foundation of 'Sarva Seva Sangh' and 'Sarvodaya Samaj'.  On this occasion we all Gandhijans are once again devote ourselves to the cause of Sarvodaya.

 Jai Jagat

 Chandan Pal

 President,Sarva Seva Sangh      

सर्व सेवा संघ और सर्वोदय समाज के 75 साल

  राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत के पुनर्निर्माण के लिए 7 लाख गांवों में 7 लाख 'जीवित शहीद' तैयार करना चाहते थे।  इस कार्य को आकार देने के लिए वे चाहते थे कि सर्वोदय विचारधारा की सभी संस्थाएँ एक होकर एक सुदृढ़ राष्ट्रीय संगठन का निर्माण करें।  इसी दृष्टि से जब वे सेवाग्राम आश्रम में थे तब उन्होंने, 2-3 फरवरी 1948 को सेवाग्राम में एक सम्मेलन नियोजित किया था।  लेकिन इससे पहले ही वह एक कट्टर हिंदुत्ववादी की गोली से हम से छिन गए।

  फरवरी 1948 में होने वाला यह सम्मेलन गांधीजी के मृत्यु पश्चात 13-15 मार्च 1948 को महादेवभाई भवन, सेवाग्राम में हुआ। इस सम्मेलन में 'सर्व सेवा संघ' (अखिल भारतीय सर्व सेवा संघ) और 'सर्वोदय समाज' का गठन डॉ. राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, डॉ. ज़ाकिर हुसैन, डॉ. जे.सी. कुमारप्पा, आचार्य विनोबा भावे जैसे राष्ट्रीय नेताओं की उपस्थिति में किया गया था।  पंडित जवाहरलाल नेहरू, जयप्रकाश नारायण, दादा धर्माधिकारी, आशा देवी आर्यनायकम, संत तुकडोजी महाराज, आचार्य जे.बी. कृपलानी और अन्य नेता भी इस समय उपस्थित थे।

   'सर्व सेवा संघ' का उद्देश्य सत्य और अहिंसा पर आधारित ऐसे समाज की स्थापना करना है, जिसमें जीवन मानवीय और लोकतांत्रिक मूल्यों से प्रेरित हो, जो शोषण, दमन, अन्याय से मुक्त हो, जिसमें मानव व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के पर्याप्त अवसर हों। साथ ही ऐसा नया समाज बनना चाहिए जिसमें जाति, पंथ, सम्प्रदाय, वर्ग, लिंग, रंग, भाषा, देश आदि के आधार पर उत्पन्न होने वाले भेदभाव नकारे जाएंगे।  इसके साथ ही अर्थव्यवस्था को विकेन्द्रीकृत रूप देने के उद्देश्य से खादी ग्रामोद्योग, खेती और पशुपालन जैसी आजीविकाओं को जोड़ा गया।

    सर्वोदय कार्य को आगे बढ़ाने में कई सर्वोदय नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  उनमें से कुछ का यहाँ उल्लेख आवश्यक हैं।  धीरेंद्र मजूमदार, आचार्य राममूर्ति, सिद्धराज धड्डा, गोकुलभाई भट्ट, नवकृष्ण चौधरी, गोपबंधु चौधरी, रामादेवी, मालती देवी, मनमोहन चौधरी, ठाकुरदास बंग, डॉ. एस.एन.सुब्बाराव, नारायण देसाई और कई अन्य नेताओं की सर्वोदय में महत्वपूर्ण भागीदारी रही हैं।

  हमें आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि सर्वोदय आंदोलन की लंबी यात्रा में इनका विशेष योगदान था।  आचार्य विनोबा भावे के नेतृत्व में 1950 और 1960 के दशक में भूदान-ग्रामदान आंदोलन, 1970 के दशक में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में संपूर्ण क्रांति आंदोलन।  विनोबाजी और जयप्रकाश जी के नेतृत्व में और सुब्बारावजी की मदद से चंबल के बागियों का समर्पण।  असम शांति यात्रा के नाम पर पंजाब और असम के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में शांति और सद्भाव विशेष उल्लेख के योग्य है।

    अपने घोषित मिशन के लिए 'सर्व सेवा संघ' और 'सर्वोदय समाज' पिछले 75 वर्षों की लंबी अवधि से इस तरह काम कर रहा है और आगे भी करता रहेगा। सन 2023 यह वर्ष 'सर्व सेवा संघ' और 'सर्वोदय समाज' की स्थापना का अमृत महोत्सवी वर्ष है।  इस अवसर पर हम सभी गांधीजन एक बार फिर स्वयं को सर्वोदय के लिए समर्पित कर रहे हैं।

  जय जगत

  चंदन पाल

 अध्यक्ष, सर्व सेवा संघ

              

सर्व सेवा संघ आणि सर्वोदय समाजाची ७५ वर्षे

        भारताच्या पुनर्निर्माणासाठी 7 लाख गावांमध्ये 7 लाख 'जिवंत हुतात्मे' निर्माण व्हावेत अशी राष्ट्रपिता महात्मा गांधींची इच्छा होती. या कल्पनेला आकार देण्यासाठी सर्वोदय विचाराच्या सर्व संस्थांनी एकत्र येऊन एक सशक्त राष्ट्रीय संघटना निर्माण करावी अशी त्यांची इच्छा होतीत्यानुसार त्यांनी सेवाग्राम आश्रमात 2 आणि 3 फेब्रुवारी 1948 रोजी एक परिषद घेण्याचे ठरवले होते. पण त्याआधीच एका कडव्या हिंदुत्ववाद्यांच्या गोळीने त्यांना आपल्यातून हिरावून नेले.

        फेब्रुवारी 1948 मध्ये होणारी ती परिषद त्यानंतर 13-15 मार्च 1948 रोजी महादेवभाई भवन, सेवाग्राम येथे घेण्यात आली. गांधीजींच्या त्या कल्पनेला साकार करण्यासाठी डॉ.राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आझाद, डॉ.झाकीर हुसेन, डॉ.जे.सी.कुमारप्पा, आचार्य विनोबा भावे, यांसारख्या राष्ट्रीय नेत्यांनी या परिषदेला उपस्थित राहून 'सर्व सेवा संघ' (अखिल भारतीय सर्व सेवा संघ) आणि 'सर्वोदय समाज' यांची स्थापना केलीपंडित जवाहरलाल नेहरू, जयप्रकाश नारायण, दादा धर्माधिकारी, आशा देवी आर्यनायकम, संत तुकडोजी महाराज, आचार्य जे.बी.कृपलानी आणि इतर अनेक द्रष्टे नेते आणि कार्यकर्ते यावेळी उपस्थित होते.

       ज्यामध्ये प्रत्येकाचे जीवन हे मानवी आणि लोकशाही मूल्यांनी प्रेरित असेल, ते शोषण, अत्याचार अन्याय यापासून मुक्त असेल, ज्यामध्ये मानवी व्यक्तिमत्त्वाच्या सर्वांगीण विकासाच्या भरपूर संधी असतील अशा सत्य आणि अहिंसेवर आधारित समाजाची स्थापना करणे हे सर्व सेवा संघाचे उद्दिष्ट ठरवले गेलेया नव्या समजामध्ये जात, पंथ, समुदाय, वर्ग, लिंग, रंग, भाषा, देश इत्यादींमुळे होणाऱ्या भेदभावाला थारा असणार नाही. या समाजाची अर्थव्यवस्था विकेंद्रित असावी. त्यासाठी त्याच्या अर्थव्यवस्थेला खादी, ग्रामोद्योग, शेती आणि पशुपालन यांसारख्या उद्यमांची जोड देण्यात आली.

     तेव्हापासून सर्वोदयाचे काम वरल उद्देशानुसार पुढे नेण्यात अनेक सर्वोदयी नेत्यांनी महत्वाची भूमिका बजावली. त्यापैकी काहींची येथे उल्लेख करावा लागेलधीरेंद्र मजुमदार, आचार्य राममूर्ती, सिद्धराज धड्डा, गोकुळभाई भट्ट, नवकृष्ण चौधरी, गोपबंधू चौधरी, रमादेवी, मालती देवी, मनमोहन चौधरी, ठाकूरदास बंग, डॉ.एस.एन.सुब्बाराव, नारायण देसाई आणि इतर अनेकांचा सर्वोदय चळवळीच्या दीर्घ प्रवासात विशेष हातभार होता. सर्वोदयाच्या गेल्या ७५ वर्षाच्या प्रवासातील आचार्य विनोबा भावे यांच्या नेतृत्वाखाली १९५० आणि १९६० च्या दशकातील भूदान-ग्रामदान चळवळ, १९७० च्या दशकात जयप्रकाश नारायण यांच्या नेतृत्वाखालील संपूर्ण क्रांती चळवळ, चंबळमध्ये विनोबाजी आणि जयप्रकाशजी यांच्या नेतृत्वाखाली आणि सुब्बारावजींच्या मदतीने चंबळ खोऱ्यातील डाकुंचे आत्मसमर्पणपंजाबमधील दंगलग्रस्त भागात आणि आसाम शांती यात्रेच्या माध्यमातून आसाममध्ये शांतता आणि सौहार्द निर्माण करणे ह्या देशाचे राजकारण आणि समाजकारण यावर मोठा प्रभाव टाकलेल्या कामांचा विशेष उल्लेख होणे क्रमप्राप्त आहे.

     आपल्या निहित ध्येयासाठी 'सर्व सेवा संघ' आणि 'सर्वोदय समाज' ७५ वर्षाच्या प्रदीर्घ कालावधीत अशा रीतीने कार्यरत आहे आणि यापुढेही राहील. हे वर्ष, सन २०२३, 'सर्व सेवा संघ' आणि 'सर्वोदय समाज' यांच्या स्थापनेचे अमृत महोत्सवी वर्ष आहे. या निमित्ताने आम्ही सर्व गंधिजन पुन्हा एकदा सर्वोदयाच्या उद्देशांप्रती स्वतःला समर्पित करीत आहोत.

 जय जगत.

 

चंदन पाल

अध्यक्ष,सर्व सेवा संघ

 

    

Comments

Popular posts from this blog

Sarva Seva Sangh, Varanasi

Certification and Declaration of Peace Fellows

Cycle Yatra against the Culture of Greed